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Tuesday 5 January 2016

जन्म पत्रिका का अष्टम भाव वैसे तो मोक्ष का स्थान माना जाता है। परंतु यह बिमारी का भी घर है। कुछ योग ऐसे हं जो अष्टम स्थान में प्रभावशील होकर रोग उत्पन्न करते हैं।....www.lifecanbechanged.com

जन्म पत्रिका का अष्टम भाव वैसे तो मोक्ष का स्थान माना जाता है। परंतु यह बिमारी का भी घर है। कुछ योग ऐसे हं जो अष्टम स्थान में प्रभावशील होकर रोग उत्पन्न करते हैं। कौन से हैं वे रोग आइए जानते हैं।
1- अष्टम भाव मंगल, चंद्र और शुक्र हो तो जातक सेक्स संबधी एवं हर्निया रोग से ग्रसित होता है।
2- अष्टम भाव में शुक्र हो तथा प्रथम भाव में शनि हो तो पेंशाब में घात संबधी रोग होता है। शनि यदि अष्टम भाव में हो उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि ना हो तो भी पेशाब संबधी रोग होता है।
3- अष्टम भाव में मंगल, शुक्र की युति हो तो वीर्य संबंधी रोग होता है।
4- अष्टम भाव में शनि हो तथा उस पर मंगल की दृष्टि हो तो जलोदर नाम का रोग होता है।
5- मोक्ष स्थान अष्टम में केतु अशुभ होने पर वायु गोला रोग करता है, केतु पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो अल्सर भी हो सकता है।
6- अष्टम स्थान पर चंद्रमा नीच का हो, शत्रु या अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो सर्दी संबधी रोग होते हैं। हर्निया, गैस, हृदय रोग भी हो सकता है।
7- अष्टम स्थान पर नीच का मंगल राहु से युक्त हो, चंद्र कमजोर हो तो बाढ़ में बहने या जल में डूबने का खतरा रहता है।
8- अष्टम भाव में शनि या शुक्र नीच का होकर बैठा हो तथा उस पर कोई शुभ दृष्टि भी न हो तो जातक को शुगर, ब्लडप्रेशर, अपेन्डि़क्स जैसे रोग होते हैं।
शनि रोग का कारक बनता हो, जो जातक को लम्बे समय तक पीड़ित रखता है. यह और एक दर्द भी है कि राहु जब किसी रोग का जनक होता है, तो बहुत समय तक तो उस रोग की जांच (डायग्नोसिस) ही नहीं हो पाती है. डॉक्टर यह समझ ही नहीं पाता है कि जातक को क्या बीमारी है? और ऐसी स्थिति में रोग अपेक्षाकृत अधिक अवधि तक चलता है. प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी रोगों से अवश्य पीड़ित होता है. कुछ व्यक्ति कुछ विशेष समय में अथवा माह में ही प्रतिवर्ष बीमार हो जाते है. ये सभी तथ्य प्राय: जन्मप्रत्रिका में ग्रहों की भागवत एवं राशिगत स्थितियों और दशा, अन्तदर्शा पर निर्भर करते हैं. इसके अतिरिक्त कई बीमारियां ऐसी हैं, जो होने पर बहुत कम दुष्प्रभाव डाल पाती हैं, जबकि कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो जब भी जातक विशेष को होती हैं, तो बहुत नुकसान पहुंचाती है. कई बार ऐसा स्थिति उत्पन्न होती है कि बीमारी होती तो हैं लेकिन उसकी पहचान भली प्रकार से नहीं हो पाती है. उन सभी प्रकार के तथ्यों का पता जातक की कुंडली को देखकर लगाया जा सकता है