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Monday 23 February 2015

आपने कई बार देखा होगा की कई तांत्रिक या भगत लोग एक दवाई अपने पास रखते है।।जिसे कभी कोई भूत प्रेत मशान या कोई भी परेशानी होती है...

आपने कई बार देखा होगा की कई तांत्रिक या भगत लोग एक दवाई अपने पास रखते है।।जिसे कभी कोई भूत प्रेत मशान या कोई भी परेशानी होती है वे सुंघा देते है और वह ठीक हो जाता है आज में आप लोगो को वह बताने जा रही हूँ के वह् कया होता है की अचानक किसी को कोई प्रेत बाधा या भूत बाधा हो उसे सूंघने से फ़ौरन उतर जाती है।🌿🌿🌿🌿
लाल कनेर के फूल
काली मिर्च
गंधक
नोशादर
कायफल jaiphal
सबको लेकर बारीक करके एक शीशीमे भर ले उसके बाद किसी को परेशानी हो तो जरा सा गंगा जल डाल कर शीशी को खूब हिला कर या हाथ पे रगड़कर रोगी को सुंघा दे रोगी उसी टाइम ठीक हो जायेगा

Wednesday 18 February 2015

जिनसे आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं :- विविध कामना सिद्धि के कुछ मानता निम्नलिखित है जिनसे आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं :- 1) मुकदमे में जीत हेतु - पवन तनय बल पवन सामना, बुद्धि बिबेक बिज्ञान निधाना। कवन सो काज कठिन जग माही, जो नहीं होइ तात तुम पाहि।।

जिनसे आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं :-
विविध कामना सिद्धि के कुछ मानता निम्नलिखित है जिनसे आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं :-

1) मुकदमे में जीत हेतु -
पवन तनय बल पवन सामना, बुद्धि बिबेक बिज्ञान निधाना।
कवन सो काज कठिन जग माही, जो नहीं होइ तात तुम पाहि।।

2) श्री हनुमान जी की प्रसन्नता प्राप्ति के लिए -
सुमिरि पवनसुत पावन नामू 7 अपने बस करी राखे रामू।।

3) मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिए -
हनुमान अंगद रन गाजे। हांक सुनत रजनीचर भाजे।।

 5) डर व भूत भागने का मंत्र -
प्रनवउं पवनकुमार खेल बन पावक ग्यान घन।
जासु हृदय अगर बसहि राम सर चाप धार।।
6) ज्ञान-प्राप्ति के लिये-
छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा।।

7) यात्रा की सफलता के लिए-
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयं राखि कोसलपुर राजा॥

8)  विवाह के लिए-
तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि संवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुंअरि लई हंकारि कै॥

9) शत्रुता समाप्ति हेतु -
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥

10) मनचाहे कार्यों की सफलता हेतु -
भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि।।

11) काम धंदे के लिए
बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

12) गरीबी समाप्ति हेतु -
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।

13) विविध रोगों तथा उपद्रवों की शान्ति के लिए
दैहिक दैविक भौतिक तापा।राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥

14) शिक्षा में सफलता के लिए
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भांती। जासु कृपा नहिं कृपां अघाती॥

15) संकट-नाश के लिए
जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

Monday 16 February 2015

यदि आप जी ने भी शिव जी के दर्शन करने हैं तो एक ही दिन मैं भगवान शिव को प्रसन करने का बहुत आसान सा पाठ....

यदि आप जी ने भी शिव जी के दर्शन करने हैं तो
एक ही दिन मैं भगवान शिव को प्रसन करने का बहुत आसान सा पाठ
शिवरात्रि की रात को सफेद 2 आसन लो एक अपने लिए  ओर एक  भगवान शिव जी के लिए ,,,एक  आसन को बिछा कर खुद बेठो ओर एक आसन अपने सामने भगवान शिव के लिए बिछा दो ओर उसके उपर फूलों की कुछ पंखड़ीय रख दो धूप दीप जला कर निच्चे लिखा मन्त्र रात 10 बजे के बाद 3 घेंटे तक करो आप को भगवान शिव जी का साक्षात अनुभव होगा
मंत्र
शिव गोरक्ष महादेव केलाश से आओ,, दर्शन दिखाओ,, रिधि सिधि नाल लेआओ,, सिधों को लाओ,, आओ आओ धुनि जमाओ,, शिव गोरक्ष  शम्बु सीध गुरु का आसन आन,, गोरक्ष  सीध को आदेश आदेश आदेश
शिव भगतो यह सीध मन्त्र है ओर हमारा अनुभव किया है यदि आप जी ने भी शिव जी  के दर्शन करने हैं तो यह मन्त्र का पाठ ज़रूर करें

Tuesday 3 February 2015

सका सेवन करें नपुसंकता की समस्या दूर हो जाएगी। चलिए आज जानते है इमली से जुड़े कुछ ऐसे ही लाजवाब नुस्खों के बारे में..... * इमली के बीज दूध में इतना उबाल लें कि उसका छिलका आसानी से उतर जाए। फिर उसका छिलका उतारकर सफेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें।रोजाना थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करें नपुसंकता की समस्या दूर हो जाएगी।...

इसका सेवन करें नपुसंकता की समस्या दूर हो जाएगी।

चलिए आज जानते है इमली से जुड़े कुछ ऐसे ही लाजवाब नुस्खों के बारे में.....

* इमली के बीज दूध में इतना उबाल लें कि उसका छिलका आसानी से उतर जाए। फिर उसका छिलका उतारकर सफेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें।रोजाना थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करें नपुसंकता की समस्या दूर हो जाएगी।

* अजवायन और इमली के बीज व गुड़ की समान मात्रा लेकर घी में अच्छी तरह भून लें।इसकी कुछ मात्रा रोजाना लेने से पुरुषों की #नपुसंकता दूर होती है।

* पके हुए इमली के फलों के रस की करीब 15 ग्राम मात्रा #बुखार से पीडि़त रोगी को दिया जाए तो बुखार उतर जाता है। इस रस में इलायची और कुछ मात्रा में खजूर भी मिला दिया जाए तो ज्यादा असरकारक होता है।

* सीने में जलन होने पर पकी इमली के रस में मिश्री मिलाकर पीएं #सीने की जलन कम हो जाती है।

* इमली की पत्तियों और फूल को एकत्र कर पानी के साथ उबालकर काढा तैयार जाए और इसे #पीलिया रोगी को दिया जाए तो उसे राहत मिलती है। माना जाता है कि इस काढे का सेवन एक सप्ताह तक प्रतिदिन दो बार करने से पीलिया में काफी फायदा करता है।

* चोट लगने या मोंच आने पर इमली के पत्तों को पानी में उबालकर, उस पानी से सिकाई करने पर बहुत जल्दी राहत मिलती है।

* लगभग 500 ग्राम इमली 4 दिन के लिए पानी में भिगो दें। उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस लें। उसके बाद 500 ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग 50 दिनों तक लेने से लाभ होगा।

* पके हुए इमली के फलों को पानी के साथ मसलकर रस तैयार किया जाता है और हल्की सी मात्रा में काला नमक डालकर सेवन किया जाए तो #भूख लगने लगती है। प्रतिदिन दो बार ऐसा करने से भूख ना लगने की शिकायत दूर हो जाती है।

* उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोए और इस इमली के रस को पिलाने से #उल्टी आनी बंद हो जाती है।

* इमली की पत्तियों को पानी के साथ कुचलकर लेप तैयार किया जाए और जोड़ दर्द वाले हिस्सों या #सूजन पर लगाया जाए तो सूजन में तेजी से आराम मिलता है।

* एक किलो इमली के बीजों को तीन-चार दिनों तक पानी में भीगे पड़े रहने दें। इसके पश्चात उन बीजों को पानी से निकालकर और छिलके उतारकर ठीक तरह से पीस लें। इसमें इससे दो गुना पुराने गुड़ को मिलाकर इसे आटे की तरह गूंथ लें। फिर इसकी बेर के बराबर गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया करने के दो घंटे पहले इसे दूध के साथ इस्तेमाल करें। इस तरह का उपाय #सेक्स करने की ताकत को और अधिक मजबूत बनाता है।

*इमली के औषधीय गुण.....!

* #वीर्य – पुष्टिकर योग के लिए इमली के बीज दूध में कुछ देर पकाकर और उसका छिलका उतारकर सफ़ेद गिरी को बारीक पीस ले और घी में भून लें, इसके बाद सामान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें | इसे प्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध के साथ सेवन करने से #वीर्य पुष्ट हो जाता है | बल और स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्ट हो जाता है |

* नशा समाप्त करने के लिएपकी इमली का गूदा जल में भिगोकर, मथकर, और छानकर उसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाना चाहिए |

* इमली के गूदे का पानी पीने से वमन, #पीलिया, प्लेग, गर्मी के ज्वर में भी लाभ होता है |

* ह्रदय की दाहकता या जलन को शान्त करने के लिये पकी हुई इमली के रस (गूदे मिले जल) में मिश्री मिलाकर पिलानी चाहियें |

* पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलओं पर मलने से #लू का प्रभाव समाप्त हो जाता है | यदि इस गूदे का गाढ़ा धोल बालों से रहित सर पर लगा दें तो लू के प्रभाव से उत्पन्न बेहोसी दूर हो जाती है |

* चोट – मोच लगने पर #इमली की ताजा पत्तियाँ उबालकर, मोच या टूटे अंग को उसी उबले पानी में सेंके या धीरे – धीरे उस स्थान को उँगलियों से हिलाएं ताकि एक जगह जमा हुआ रक्त फ़ैल जाए |

* गले की सूजन मे इमली १० ग्राम को १ किलो जल में अध्औटा कर (आधा जलाकर) छाने और उसमें थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर रोगी को गरारे या कुल्ला करायें तो गले की #सूजन में आराम मिलता है |

* टी.बी. या #क्षय की खांसी हो (जब कफ़ थोड़ा रक्त आता हो) तब इमली के बीजों को तवे पर सेंक, ऊपर से छिलके निकाल कर कपड़े से छानकर चूर्ण रख ले| इसे ३ ग्राम तक घृत या मधु के साथ दिन में ३-४ बार चाटने से शीघ्र ही खांसी का वेग कम होने लगता है | कफ़ सरलता से निकालने लगता है और रक्तश्राव व् पीला कफ़ गिरना भी समाप्त हो जाता है |

* ह्रदय में जलन होने पर पकी इमली का रस मिश्री के साथ पिलाने से ह्रदय में जलन कम हो जाती है |

* नेत्रों में गुहेरी होने पर इमली के बीजों की गिरी पत्थर पर घिसें और इसे #गुहेरी पर लगाने से तत्काल ठण्डक पहुँचती है |

* चर्मरोग होने पर लगभग ३० ग्राम इमली (गूदे सहित) को १ गिलाश पानी में मथकर पीयें तो इससे घाव, #फोड़े-फुंसी में लाभ होगा |

* उल्टी होने पर पकी इमली को पाने में भिगोयें और इस इमली के रस को पिलाने से #उल्टी आनी बंद हो जाती है |

* भांग का नशा उतारने के लिए शीतल जल में इमली को भिगोकर उसका रस निकालकर रोगी को पिलाने से उसका #नशा उतर जाएगा |

* खूनी बवासीर में इमली के पत्तों का रस निकालकर रोगी को सेवन कराने से #रक्तार्श में लाभ होता है |

* #शीघ्रपतन में लगभग ५०० ग्राम इमली ४ दिन के लिए जल में भिगों दे | उसके बाद इमली के छिलके उतारकर छाया में सुखाकर पीस ले | फिर ५०० ग्राम के लगभग मिश्री मिलाकर एक चौथाई चाय की चम्मच चूर्ण (मिश्री और इमली मिला हुआ) दूध के साथ प्रतिदिन दो बार लगभग ५० दिनों तक लेने से लाभ होगा |

* लगभग ५० ग्राम इमली, लगभग ५०० ग्राम पानी में दो घन्टे के लिए भिगोकर रख दें उसके बाद उसको मथकर मसल लें | इसे छानकर पी जाने से लू लगना, जी मिचलाना, बेचैनी, दस्त, शरीर में जलन आदि में लाभ होता है तथा शराब व् भांग का नशा उतर जाता है | हँ का जायेका ठीक होता है |

* बहुमूत्र में इमली का गूदा ५ ग्राम रात को थोड़े जल में भिगो दे, दूसरे दिन प्रातः उसके छिलके निकालकर दूध के साथ पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | इससे स्त्री और पुरुष दोनों को लाभ होता है | मूत्र- धारण की शक्ति क्षीण हो गयी हो या मूत्र अधिक बनता हो या मूत्रविकार के कारण शरीर क्षीण होकर हड्डियाँ निकल आयी हो तो इसके प्रयोग से लाभ होगा |

* #अण्डकोशों में जल भरने पर लगभग ३० ग्राम इमली की ताजा पत्तियाँ को गौमूत्र में औटाये | एकबार मूत्र जल जाने पर पुनः गौमूत्र डालकर पकायें | इसके बाद गरम – गरम पत्तियों को निकालकर किसी अन्डी या बड़े पत्ते पर रखकर सुहाता- सुहाता #अंडकोष पर बाँध कपड़े की पट्टी और ऊपर से लगोंट कास दे | सारा पानी निकल जायेगा और अंडकोष पूर्ववत मुलायम हो जायेगें |

* पीलिया या #पांडु रोग के लिए इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म १० ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पान्डु रोग ठीक हो जाता है |

* आग से जल जाने पर इमली के वृक्ष की जली हुई छाल की भष्म गाय के घी में मिलाकर लगाने से, जलने से पड़े छाले व् घाव ठीक हो जाते है |

* पित्तज ज्वर में इमली २० ग्राम १०० ग्राम पाने में रात भर के लिए भिगो दे | उसके निथरे हुए जल को छानकर उसमे थोड़ा बूरा मिला दे | ४-५ ग्राम इसबगोल की फंकी लेकर ऊपर से इस जल को पीने से लाभ होता है |

* सर्प , बिच्छू आदि का #विष के लिए इमली के बीजों को पत्थर पर थोड़े जल के साथ घिसकर रख ले | दंशित स्थान पर चाकू आदि से छत करके १ या २ बीज चिपका दे | वे चिपककर विष चूसने लगेंगे और जब गिर पड़े तो दूसरा बीज चिपका दें | विष रहने तक बीज बदलते रहे |