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Sunday 11 January 2015

विवाह योग विवाह योग • सप्तम भाव का स्वामी शुभ ग्रह हो या अशुभ ग्रह यदि वह अपने भाव सप्तम में हि स्थित हो या किसी अन्य में स्थित होकर अपने भाव को देख रहा हो और सप्तम भाव पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव या द्रष्टी नहों तो जातक का विवाह अवश्य होता हैं। • सप्तम भाव में कोई पाप ग्रह स्थित नहीं हो और नाहीं द्रष्टी हो, तो विवाह अवश्य होता हैं। • सप्तम भाव में सम राशि हो या सप्तमेश और शुक्र भी सम राशि में स्थित हों या सप्तमेश बली हो, तो विवाह होता हैं।....


विवाह योग
विवाह योग
• सप्तम भाव का स्वामी शुभ ग्रह हो या अशुभ ग्रह यदि वह अपने भाव सप्तम में हि स्थित हो या किसी अन्य में स्थित होकर अपने भाव को देख रहा हो और सप्तम भाव पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव या द्रष्टी नहों तो जातक का विवाह अवश्य होता हैं।
• सप्तम भाव में कोई पाप ग्रह स्थित नहीं हो और नाहीं द्रष्टी हो, तो विवाह अवश्य होता हैं।
• सप्तम भाव में सम राशि हो या सप्तमेश और शुक्र भी सम राशि में स्थित हों या सप्तमेश बली हो, तो विवाह होता हैं।
• सप्तम भाव में कोई ग्रह नहों, न किसी पाप ग्रह की द्रिष्टि हो व सप्तमेश बली होतो विवाह अवश्य होता हैं।
• यदि दूसरे, सातवें और बारहवें भाव के स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हों, और गुरु से द्रष्ट हो, तो विवाह अवश्य होता हैं।
• कुंडली में सप्तमेश से दूसरे, सातवें और ग्यारवे भाव में सौम्य ग्रह स्थित हो तो स्त्री सुख अवश्य मिलता हैं।
• शुक्र द्विस्वभाव राशि में होने पर विवाह अवश्य होता हैं।
विवाह बाधा योग योग
• सप्तम में बुध और शुक्र दोनो हो, तो विवाह के प्रस्ताव आते रहते हैं पर विवाह अधेड उम्र में होता हैं।
• शुक्र एवं मंगल दोनो पंचम या नवें भाव में हों, तो विवाह बाधा योग होता हैं।
• सप्तम भाव में मंगल हों उस पर शनि कि द्रष्टी हों, तो विवाह बाधा योग होता हैं।
• सप्तमेश अशुभ होकर 6,8,12 वे भाव में अस्त या नीच का हो कर स्थित हो, तो विवाह बाधा योग होता हैं।
• सप्तम भाव में शनि या गुरु स्थित हो, तो शादी देर से करवाते हैं।
• सप्तम भाव पर शनि कि द्रष्टी विवाह में विलंब करवाती हैं।
• चन्द्रमा से सप्तम में गुरु स्थित हो, तो शादी देर से करवाता हैं।
• कर्क लग्न में सप्तम में गुरु स्थित हो, तो शादी देर से करवाता हैं।
• सप्तम में 6,8,12 वे भाव का स्वामी स्थित हों उस पर किसी शुभ ग्रह कि द्रष्टी या युति नहो शादी देर से करवाते हैं।
• कन्या की कुन्डली में सप्तमेश के साथ शनि स्थित होने से विवाह अधिक आयु में होता हैं।
• सूर्य, मंगल, बुध लगन में स्थित हो और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो विवाह बडी आयु में होता हैं।
• लगन, सप्तम, बारहवें तीनो भाव में पाप ग्रह स्थित हों तथा पंचम भाव में चन्द्रमा कमजोर हो, तो विवाह नही होता यदि होता हैं तो संतान कि संभावना कम होती हैं।
• राहु की महादशा या अंतर्दशा में विवाह हो, या राहु सप्तम भाव को दूषित कर रहा हो, तो दिमागी भ्रम के कारण शादी होकर टूट जाती हैं या साथी से अलगाव होता हैं।
अविवाहित योग
• जन्म कुंडली में सप्तमेश अशुभ स्थान 6,8,12 वे भाव पर स्थित हों और सप्तमेश पर एक से अधिक पाप ग्रहो का प्रभाव हो तो जातक अविवाहित रहता हैं।
• लगन या चतुर्थ भाव में मंगल स्थित हो, सप्तम मेंभाव में शनि स्थित हो तो कन्या की रुचि शादी में नही होती हैं।
• सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर अस्त या नीच राशि का होकर बैठा हो, तो जातक अविवाहित रहता हैं।
• सप्तमेश बारहवें भाव में हो और लगनेश या राशि कास्वामी सप्तम में बैठा हो, तो जातक अविवाहित रहता हैं।
• चन्द्र शुक्र साथ स्थित हों, उस्से सप्तम स्थान पर मंगल और शनि स्थित हो अर्थात चंद्र और शुक्र कि युति से सप्तन भाव में मंगल शनि कि युति हो, तो जातक अविवाहित रहता हैं।
• शुक्र और मंगल दोनों सप्तम में हो, तो जातक अविवाहित रहता हैं।
• शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ पंचम या सप्तम या नवम भाव में युति हो, तो जातक अविवाहित रहता हैं। और यदि हो जाये तो जातक जीवन साथी के वियोग से पीडित रहता हैं।
• सप्तम और बारहवे भाव में दो या दो से अधिक पाप ग्रह स्थित हो और पंचम भाव में चंद्र स्थित हो, तो जातक का विवाह नहीं होता
• जन्म कुंडली में शुक्र, बुध, शनि तीनो ग्रह नीच हों, तो जातक का विवाह नहीं होता।
• सूर्य स्पष्ट और सप्तम स्पष्ट बराबर का होने पर भी जातक का विवाह नहीं होता

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