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Wednesday 16 July 2014

शिव के १०८ नामों से:पुष्प, विल्व पत्र चढ़ाएँ शिव के १०८ नामों से:पुष्प, विल्व पत्र चढ़ाएँ ॐ अस्य श्रीशिवाष्टोत्तरशतनाममन्त्रस्य नारायणऋषि: अनुष्टुप् छन्द: श्रीसदाशिवो देवता गौरी उमाशक्ति: श्रीसाम्बसदाशिवप्रातये अष्टोत्तरशतनामभि: शिवपूजने विनियोग:।( थोड़ा जल चढ़ाएँ )....


शिव के १०८ नामों से:पुष्प, विल्व पत्र चढ़ाएँ
शिव के १०८ नामों से:पुष्प, विल्व पत्र चढ़ाएँ
ॐ अस्य श्रीशिवाष्टोत्तरशतनाममन्त्रस्य नारायणऋषि: अनुष्टुप् छन्द: श्रीसदाशिवो देवता गौरी उमाशक्ति: श्रीसाम्बसदाशिवप्रातये अष्टोत्तरशतनामभि: शिवपूजने विनियोग:।( थोड़ा जल चढ़ाएँ )
ध्यान :-शान्ताकारं शिखरिशयनं नीलकण्ठं सुरेशं
विश्वाधारं स्फटिकसद्दशं शुभ्रवर्णं शुभाड्गम् ।
गौरीकान्तं त्रितयनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे शम्भुं भवमयहरं सवलोकैकनाथम् ॥
ॐ शिवाय नम: ॥१॥
ॐ महेश्वराय नम: ॥२॥
ॐ शम्भवे नम: ॥३॥
ॐ पिनाकिने नम: ॥४॥
ॐ शशिशेखराय नम: ॥५॥
ॐ वामदेवाय नम: ॥६॥
ॐ विरुपाक्षाय नम: ॥७॥
ॐ कपर्दिने नम: ॥८॥
ॐ नीललोहिताय नम: ॥९॥
ॐ शंकराय नम: ॥१०॥
ॐ शूलपाणये नम: ॥११॥
ॐ खट्‌वाङ्गिने नम: ॥१२॥
ॐ विष्णुवञ्जभाय नम: ॥१३॥
ॐ शिपिविष्टाय नम: ॥१४॥
ॐ अम्विकानाथाय नम: ॥१५॥
ॐ श्रीकण्ठाय नम: ॥१६॥
ॐ भक्तवत्सलाय नम: ॥१७॥
ॐ भवाय नम: ॥१८॥
ॐ शर्वाय नम: ॥१९॥
ॐ त्रिलोकीशाय नम: ॥२०॥
ॐ शितिकण्ठाय नम: ॥२१॥
ॐ शिवाप्रियाय नम: ॥२२॥
ॐ उग्राय नम: ॥२३॥
ॐ कपालिने नम: ॥२४॥
ॐ कामारये नम: ॥२५॥
ॐ अन्धकासुरसूदनाय नम: ॥२६॥
ॐ गंगाधराय नम: ॥२७॥
ॐ ललाटाक्षाय नम: ॥२८॥
ॐ कालकालाय नम: ॥२९॥
ॐ कृपानिधये नम: ॥३०॥
ॐ भीमाय नम: ॥३१॥
ॐ परशुइस्ताय नम: ॥३२॥
ॐ मृगपाणये नम: ॥३३॥
ॐ जटाधराय नम: ॥३४॥
ॐ कैलामवासिने नम: ॥३५॥
ॐ कवचिने नम: ॥३६॥
ॐ कठोराय नम: ॥३७॥
ॐ त्रिपुरान्तकाय नम: ॥३८॥
ॐ वृषाङ्काय नम: ॥३९॥
ॐ वृषभारूढाय नम: ॥४०॥
ॐ भस्मोद्‌धूलितविग्रहाय नम: ॥४१॥
ॐ सामप्रियाय नम: ॥४२॥
ॐ स्वरमयाय नम: ॥४३॥
ॐ त्रिमूर्त्तये नम: ॥४४॥
ॐ अश्विनीश्वराय नम: ॥४५॥
ॐ सर्वज्ञाय नम: ॥४६॥
ॐ परमात्मने नम: ॥४७॥
ॐ सोमसूर्य्याग्निलोचनाय नम: ॥४८॥
ॐ हावषे नम: ॥४९॥
ॐ यज्ञमयाय नम: ॥५०॥
ॐ पञ्चवक्त्राय नम: ॥५१॥
ॐ सदाशिवाय नम: ॥५२॥
ॐ विश्वेश्वराय नम: ॥५३॥
ॐ वीरभद्राय नम: ॥५४॥
ॐ गणनाथाय नम: ॥५५॥
ॐ प्रजापतये नम: ॥५६॥
ॐ हिरण्यरेतसे नम: ॥५७॥
ॐ दुर्द्धर्षाय नम: ॥५८॥
ॐ गिरीशाय नम: ॥५९॥
ॐ गिरिशाय नम: ॥६०॥
ॐ अनधाय नम: ॥६१॥
ॐ भुजङ्गभूषणाय नम: ॥६२॥
ॐ भर्गाय नम: ॥६३॥
ॐ गिरिधन्वने नम: ॥६४॥
ॐ गिरिप्रियाय नम: ॥६५॥
ॐ अष्टमूर्त्तये नम: ॥६६॥
ॐ अनेकात्मने नम: ॥६७॥
ॐ सात्त्विकाय नम: ॥६८॥
ॐ शुभविग्रहाय नम: ॥६९॥
ॐ शाश्वताय नम: ॥७०॥
ॐ खण्डपरशवे नम: ॥७१॥
ॐ अजाय नम: ॥७२॥
ॐ पाशविमोचकाय नम: ॥७३॥
ॐ कृत्तिवाससे नम: ॥७४॥
ॐ पुरारातये नम: ॥७५॥
ॐ भगवते नम: ॥७६॥
ॐ प्रमथाधिपाय नम: ॥७७॥
ॐ मृत्युञ्जजाय नम: ॥७८॥
ॐ सूक्ष्मतनवे नम: ॥७९॥
ॐ जगद्‌त्र्यापिने नम: ॥८०॥
ॐ जगद्‌गुरवे नम: ॥८१॥
ॐ व्योमकेशाय नम: ॥८२॥
ॐ महासेनाय नम: ॥८३॥
ॐ जनकाय नम: ॥८४॥
ॐ चारुविक्रमाय नम: ॥८५॥
ॐ रुद्राय नम: ॥८६॥
ॐ भूतपतये नम: ॥८७॥
ॐ स्थाणवे नम: ॥८८॥
ॐ अहिर्बुध्न्याय नम: ॥८९॥
ॐ दिगम्बराय नम: ॥९०॥
ॐ मृडाय नम: ॥९१॥
ॐ पशुपतये नम: ॥९२॥
ॐ देवाय नम: ॥९३॥
ॐ महादेवाय नम: ॥९४॥
ॐ अव्ययाय नम: ॥९५॥
ॐ हरये नम: ॥९६॥
ॐ पुष्पदन्तभिदे नम: ॥९७॥
ॐ भगनेत्रभिदे नम: ॥९८॥
ॐ अपवर्गप्रदाय नम: ॥९९॥
ॐ अव्यग्राय नम: ॥१००॥
ॐ अव्यक्ताय नम: ॥१०१॥
ॐ अनन्ताय नम: ॥१०२॥
ॐ दक्षाध्वरहराय ॥१०३॥
ॐ सहस्त्राक्षाय नम: ॥१०४॥
ॐ तारकाय नम: ॥१०५॥
ॐ हराय नम: ॥१०६॥
ॐ सहस्त्रपदे नम: ॥१०७॥
ॐ श्रीपरमेश्वराय नम: ॥१०८॥
जो मनुष्य पूरे श्रावण में शिवजी का पूजन, जप-तप, आराधना, भक्ति करता है। वह अवश्य इस लोक में सुख भोग कर शिवलोक को प्राप्त होता है।

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