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Wednesday 16 July 2014

शत्रुओं का नाश होता है। क्यों करते हैं शिवजी का अभिषेक? अभिषेक शब्द का अर्थ है स्नान करना या कराना। यह स्नान भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही ज्यादातर पहचाना जाता है। अभिषेक के कई प्रकार तथा रुप होते हैं। ....


शत्रुओं का नाश होता है।
क्यों करते हैं शिवजी का अभिषेक? 

अभिषेक शब्द का अर्थ है स्नान करना या कराना। यह स्नान भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही ज्यादातर पहचाना जाता है। अभिषेक के कई प्रकार तथा रुप होते हैं। किंतु आजकल विशेष रूप से रुद्राभिषेक ही कराया जाता है। रुद्राभिषेक का मतलब है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है।शिवपुराण में सनकादि ऋषियों के पूछने पर स्वयं भगवान शिव ने अभिषेक का महत्व बताते हुए कहा है कि सभी प्रकार की आसक्तियों से रहित होकर जो मेरा अभिषेक करता है वह सभी कामनाओं को प्राप्त करता है।
शास्त्रों में भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना जाता है। भगवान रुद्र से सम्बंधित मंत्रों का वर्णन बहुत ही पुराने समय से मिलता है। रुद्रमंत्रों का विधान ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में दिये गए मंत्रों से किया जाता है। रुद्राष्टाध्यायी में अन्य मंत्रों के साथ इस मंत्र का भी उल्लेख मिलता है।
जलाभिषेक स्वयं मे रहे 'प्रेम प्रवाह ' 'भाव प्रवाह ' 'भक्ति प्रवाह' 'ज्ञानप्रवाहआवत' को स्मरण करने के लिए है । भगवान से हमारा सम्बन्ध तैल धारावत सतत रहे इसका स्मरण करने के लिए संभवतः जलाभिषेक करते हैं। गोरस के प्रति हमारे अन्दर विशिष्ट भाव उत्पन्न हो यह भावना भी हमारे ऋषियों की रही होगी । हम गोपालन करें , माँ की सेवा करें। उनके आशीर्वाद स्वरुप गोरस ( दुग्ध ) को भगवान पर अर्पित करें और प्रसाद रूप मे ग्रहण करें यह सिखाने वाली हमारी भारतीय संस्कृति है ।
अभिषेक में उपयोगी वस्तुएं: अभिषेक साधारण रूप से तो जल से ही होता है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं जो मात्र जल चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। शिवपुराण के अनुसार अलग-अलग कामनाओं की सिद्धि के लिए भगवान शिव का अनेक द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है।
यजुर्वेदीय ऋचाओं के साथ भगवान का अभिषेक करने से भगवान आशुतोष शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अभिषेक से मनुष्य की अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की कामना की सिद्धि होती है।
शास्त्रों में कामना की प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के द्रव्यों से अभिषेक का वर्णन है--
१ - जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, अत: शुद्ध जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर भरपूर जलवृष्टि होती है। जल से अभिषेक करने से तेज ज्वर से भी शांत हो जाता है।
२ - लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से भगवान का अभिषेक करना चाहिए।
३ - गाय के दूध से अभिषेक करने पर सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।
४ - शक्कर ‍‍‍मिश्रित दूध से अभिषेक करने पर बुद्धि की जड़ता समाप्त हो जाती है और बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
५ - शहद से अभिषेक करने पर पापों का नाश हो जाता है। तापादी रोग से छुटकारा मिलता है।
६ - घी से अभिषेक करने पर जीवन में आरोग्यता आती है और वंशवृद्धि होती है।
७ - सरसों के तेल के भगवान का ‍अभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है।
८ - मोक्ष की कामना के लिए तीर्थों के जल द्वारा अभिषेक किया जाता है।
इन रसों द्वारा शुद्ध चित्त के साथ विधानुसार भगवान शिव का अभिषेक करने पर भगवान भक्त की सभी कामनाओं की पूर्ति करते हैं। श्रावण ,शिववास , विशेष पर्व शिवरात्री आदि में भगवान शिव का अभिषेक विशेष फलदायी होता है।

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