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Tuesday 24 June 2014

पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता- पिता, भाई-बहिन,पति पत्नि- प्रेमिका, मित्र- शत्रु, सगे -सम्बनधी.. इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते है सब मिलते है । क्यों कि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है ।.....

पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-
पिता, भाई-बहिन,पति पत्नि- प्रेमिका,
मित्र-
शत्रु, सगे -सम्बनधी.. इत्यादि संसार के जितने
भी रिश्ते नाते है सब मिलते है । क्यों कि इन
सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे
कुछ
लेना होता है ।
वेसे ही संतान के रूप में हमारा कोई पूर्व जन्म
का सम्बन्धी ही आकर जन्म लेता है ।
जिसे शास्त्रों में चार प्रकार
का बताया गया है ।
1. ऋणानुबन्ध :-- पूर्व जन्म का कोई एसा जीव
जिससे आपने ऋण
लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से
धन नष्ट
किया हो तो वो आपके घर में संतान बनकर
जन्म
लेगा ओर आपका धन बीमारी में, या व्यर्थ के
कार्यों में तब तक नष्ट करेगा जब तक
उसका हिसाब
पूरा ना हो ।
2. शत्रु पुत्र:--पूर्व जन्म का कोइ दुश्मन आपसे
बदला लेने के लिये आपके घर में संतान बनकर
आयेगा,
ओर बडा होने पर माता पिता से मारपीट
झगडा या उन्हे
सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से
सताता ही रहेगा ।
3. उदासीन:-- इस प्रकार कि सन्तान
माता पिता को न तो कष्ट देती है ओर
ना ही सुख
। विवाह होने पर यह माता- पिता से अलग
हो जाते है ।
4. सेवक पुत्र:-- पूर्व जन्म में यदि आपने
किसी की खूब सेवा कि है तो वह
अपनी कि हुई
सेवा का ऋण उतारने के लिये आपकि सेवा करने
के लिये
पुत्र बनकर आता है ।
आप यह ना समझे कि यह सब बाते केवल मनुष्य पर
ही लागु होती है । इन चार प्रकार में कोइ
सा भी जीव आ सकता है ।
जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव
से
सेवा कि है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ
सकती है ।यदि आपने गाय को स्वार्थ वश
पालकर
उसके दूध देना बन्द करने के पश्चात उसे घर से
निकाल
दिया हो तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र
या पुत्री बनकर
जन्म लेगी ।
यदि आपने किसी निरपराध जीव
को सताया है
तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा ।
इसलिये जीवन में
कभी किसी का बुरा नहीं करे ।
क्यों कि प्रकृति का नियम है कि आप
जो भी करोगे
उसे वह आपको सौ गुना करके देगी । यदि आपने
किसी को एक रूपया दिया है
तो समझो आपके खाते में
सौ रूपये जमा हो गये है । यदि आपने
किसी का एक
रूपया छीना है
तो समझो आपकि जमा राशि से
सौ रूपये निकल गये ।

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