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Wednesday 18 June 2014

तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है वीर्यरक्षक चूर्ण बहुत कम खर्च में आप यह चूर्ण बना सकते हैं | कुछ सुखे आँवलों से बीज अलग करके उनके छिलकों को कूटकर उसका चूर्ण बना लो |.....

तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है
वीर्यरक्षक चूर्ण
बहुत कम खर्च में आप यह चूर्ण बना सकते हैं | कुछ सुखे आँवलों से बीज अलग करके उनके छिलकों को कूटकर उसका चूर्ण बना लो | आजकल बाजार में आँवलों का तैयार चूर्ण भी मिलता है | जितना चूर्ण हो, उससे दुगुनी मात्रा में मिश्री का चूर्ण उसमें मिला दो | यह चूर्ण उनके लिए भी हितकर है जिन्हें स्वप्नदोष नहीं होता हो |
रोज रात्रि को सोने से आधा घंटा पूर्व पानी के साथ एक चम्मच यह चूर्ण ले लिया करो | यह चूर्ण वीर्य को गाढ़ा करता है, कब्ज दूर करता है, वात-पित्त-कफ के दोष मिटाता है और संयम को मजबूत करता है |
नोट :- दूध और आवला चूर्ण में लगभग २ घंटे का अंतराल रखे यानि दूध और आवला चूर्ण साथ न ले और या रात में सिर्फ आवला चूर्ण ही ले पानी के साथ दूध उस रात न ले
गोंद का प्रयोग
6 ग्राम खेरी गोंद रात्रि को पानी में भिगो दो | इसे सुबह खाली पेट ले लो | इस प्रयोग के दौरान अगर भूख कम लगती हो तो दोपहर को भोजन के पहले अदरक व नींबू का रस मिलाकर लेना चाहिए |
तुलसी: एक अदभुत औषधि
प्रेन्च डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है : “तुलसी एक अदभुत औषधि है | तुलसी पर किये गये प्रयोगों ने यह सिद्ध कर दिया है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में तुलसी अत्यंत लाभकारी है | इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है | मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है |
तुलसी रोगों को तो दूर करती ही है, इसके अतिरिक्त ब्रह्मचर्य की रक्षा करने एवं यादशक्ति बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है | तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है | यह त्रिदोषनाशक है | रक्तविकार, वायु, खाँसी, कृमि आदि की निवारक है तथा हृदय के लिये बहुत हितकारी है |

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