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Saturday 3 May 2014

पिता की ओर से पूर्ण सुख एवं सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है मीन लग्न की कुंडली के नवम या दशम भाव में केतु स्थित हो तो : ===========


पिता की ओर से पूर्ण सुख एवं सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है
मीन लग्न की कुंडली के नवम या दशम भाव में केतु स्थित हो तो :
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कुंडली का नवम भाव धर्म एवं भाग्य का कारक स्थान होता है। मीन लग्न की कुंडली में इस स्थान वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल होता है। यहां केतु होने पर व्यक्ति को धार्मिक कार्यों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धन के संबंध में भी ये लोग भाग्यशाली नहीं कहे जा सकते हैं क्योंकि इन्हें मेहनत अधिक करनी पड़ती है और प्रतिफल कम मिलता है। केतु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति बहुत चतुर होता है।

मीन लग्न की कुंडली के दशम भाव में केतु हो तो व्यक्ति को पिता की ओर से पूर्ण सुख एवं सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है। कुंडली का दसवां भाव पिता एवं शासकीय कार्यों का कारक स्थान होता है। जबकि मीन लग्न की कुंडली में इस भाव धनु राशि का स्वामी गुरु है। गुरु की इस राशि में केतु होने पर व्यक्ति काफी परेशानियां सहन करता है।

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