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Saturday 17 May 2014

भूत प्रेत से प्रभावित होने की घटनाऐं अक्सर भूत प्रेत कई प्रकार के होते हैं जिनमें निम्न प्रमुख हैं। ......


भूत प्रेत से प्रभावित होने की घटनाऐं अक्सर
        भूत प्रेत कई प्रकार के होते हैं जिनमें निम्न प्रमुख हैं।

       1. मन का वर्तमान से हटकर अन्य समय में चले जानाः- इसमें मनुष्य की स्थिति उपरोक्तानुसार हो जाती है।

       2. किसी विशेष स्थान पर विशेष तरगों की अति सक्रियताः- इसमें घर के सामान का अपने आप  इधर उधर होना, गिरना, उपर उठना, कमरे में तेज हवा का झौंका महसूस करना, कमरे के खिड़की दखाजे अपने आप खुलना बंद होना, पत्थर आदि गिरना, कहीं भी आग लग जाना, कोई आबाजें सुनाई देना आदि ।

       3. आकाशीय परावर्तनः- किसी स्थान पर ऐसे दृश्य दिखाई देना जो वहां नहीं है परंतु घरती पर कहीं दूसरी जगह है यह भी अक्सर विशेष जगहों पर ही होता है इससे कभी कभी वाहन भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं एवं उस स्थान पर अक्सर दुर्घनाऐं होतीं रहतीं हैं, ऐसे दृश्य क्षण भर के लिए ही दिखाई देते हैं फिर गायब हो जाते हैं रेगिस्थान में दिखने वाली मृगमारीचिका भी आकाशीय परावर्तन है। अंतरिक्ष में घूमते बर्फ के पिडों से परावर्तन के  कारण ऐसा हो जाता है।

       4. दिशा भ्रमः- जिसे बोलचाल की भाषा में भूलभुलैया कहते हैं। यह अक्सर अंधेरी रात में पगदंडी एवं कच्चे रास्ते वाले मैदानी इलाकों में होता है व्यक्ति किसी गांव की रोशनी को या आगे जाते हुए किसी व्यक्ति को देखता है और अनुमान लगाता है कि वह उस जगह तक दस मिनिट मे पहुंच जायगा परंतु रात भर चलने के बाद भी वह उस जगह तक नहीं पहुंचता सुबह की रोशनी होने पर पता चलता है कि वह किसी विषेश क्षेत्र में ही चक्कर लगा रहा था ऐसा किसी भी वाहन, घुड़सवार या समूह में चलने वालों के साथ भी हो सकता है। यदि वह किसी का अनुसरण कर रहा है तब वह किसी भी सही या गलत स्थान पर पहुंच सकता है। यह स्थिति तभी समाप्त होती है जब वह कुछ देर के लिए रुक जाय या सुबह का उजाला हो जाय। दिशा भ्रम एक बीमारी भी होती है इससे पीड़ित व्यक्ति अपने चिर परिचित स्थान  या अपने घर का ही रास्ता भूल जाता है। 

              

                     भूत प्रेत से प्रभावित होने की घटनाऐं अक्सर अशिक्षित एवं ग्रामीण इलाकों मे ही ज्यादा होतीं है क्योंकि इन लोगों में अंधविश्वास एवं भूत प्रेत की धारणा बहुत प्रबल होती है। धारणा का मतलब होता है दृढ़ विश्वास। चूंकि शहरी क्षेत्रों में भी ज्यादातर लोग अंधविश्वासी होते हैं परंतु इसमें इनकी धारणा लगभग पचास प्रतिशत ही होती है इसलिए शहरी क्षेत्रों में बहुत कम लोग ही इससे प्रभावित हो पाते हैं। दूसरे प्रकार अर्थात तरंगों की अति सक्रियता का धारणा से कोई संबंध नहीं होता यह किसी के भी साथ हो सकता है परंतु जब कोई व्यक्ति ऐसी जगह पर पहुंच जाता है तब भय के कारण उसमें भी धारण प्रवल हो जाती है और ऐसे स्थान पर वह भूत प्रेत से भी प्रभावित हो जाता है। तीसरे प्रकार का भूत प्रेत या धारणा से कोई संबंध नहीं है। चौथे प्रकार में भी यदि व्यक्ति अकेला है औेर डर जाता है तब यहां भी भूत प्रेत का शिकार हो सकता है।

                     किसी व्यक्ति में देवी देवता का भाव आ जाना भी इसी प्रकार की प्रक्रिया है इसमें वह मन से प्रवल धारणा के कारण तो उस देवी देवता से जुड़ जाता है परंतु उसे उनकी आराधना की क्रिया पद्यति का सही ज्ञान नहीं होता इसमें वह देवी देवता के माध्यम से जो भी बोलता है वह सही व गलत दोनों हो सकता है जैसा कि उपर लिखा गया है कि प्रकृति में सत रज एवं तम तीन गुण होते हैं इनमें यदि उसके उपर सत का प्रभाव है तब वह सही बोलेगा यदि तम का प्रभाव है तब गलत बोलेगा यह भूत प्रेत के समान उग्र नहीं होते सत से प्रभावित व्यक्ति बिलकुल शांत स्थिति में होता है एवं तम से प्रभावित व्यक्ति कुछ उग्र हो सकता है।

                         इसी प्रकार व्यक्ति का मन जब पूर्व जन्म के समय से जुड़ जाता है तब उसे पूर्व जन्म की याद आ जाती है। इस प्रकार ये सभी जागृत अवश्था में देखे गए स्वप्न हैं। मन के शरीर के बाहर कहीं भी जाने की क्षमता एवं सापेक्षवाद के कारण ऐसा होता है। उपरोक्त किसी भी चीज से प्रभावित व्यक्ति जागृत अवश्था मे होते हुए भी वर्तमान काल में व्यवहार नहीं करता इन अवश्थाओं में उसे शरीर का पूरा ध्यान रहता है एवं शरीर पर नियंत्रण भी बना रहता है चूंकि पहली अवश्था में शरीर से नियंत्रण भी खो सकता है। 

                        उपरोक्त तथ्यों से पता चलता है कि इस दुनिया या ब्रह्मांड में जो भी घटित होता है, या मनुष्य अपनी ज्ञानेन्द्रियों से जो देखता सुनता समझाता है उसके पीछे क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया के आधार पर एक निश्चित वैज्ञानिक प्रक्रिया होती है। जिसे लोग समझते नहीं, उसे चमत्कार, भूत प्रेत या दैवीय शक्ति आदि कहने लगते हैं। देवी देवताओं के नाम पर चमत्कार दिखाने या स्वयं को देवी देवता का कृपा पात्र बताकर लोगों को प्रलोभन देने वाले एवं इलाज आदि करने वाले लोग ठग होते हैं इनसे लोगों को हमेशा दूर रहना चाहिए। ये लोग चमत्कार दिखाकर लोगों को आकर्षित करने के लिए अक्सर जादू, हाथ की सफाई, सम्मोहन, रसायन विज्ञान आदि का प्रयोग करते हैं। धर्म या आध्यात्म के क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई चमत्कार नहीं होता यह स्वस्थ एवं सुखी जीवन जीने के लिए एक उच्चस्तरीय ज्ञान है।

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