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Wednesday 14 May 2014

संतान प्राप्ति की सम्भावना बनती है संतान बाधा निवारण के कुछ शास्त्रोक्त उपाय ......


संतान प्राप्ति की सम्भावना बनती है
                    संतान बाधा निवारण के कुछ शास्त्रोक्त उपाय 
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संतान बाधा निवारण के लिए हमने अपने पहले के पोस्टों में भी अनेक उपाय प्रस्तुत किये हैं |कुछ और शास्त्रोक्त उपाय निम्न प्रकार भी हैं ,जिन्हें विधिवत संपादित करने से संतान प्राप्ति की सम्भावना बनती है |
[1] संतान गोपाल स्तोत्र 
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ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |
उपरोक्त मन्त्र की १००० संख्या का जाप प्रतिदिन १०० दिन तक करें | तत्पश्चात १०००० मन्त्रों से हवन,१००० से तर्पण ,१०० से मार्जन तथा १० ब्राह्मणों को भोजन कराएं |

[2] .संतान गणपति स्तोत्र 
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श्री गणपति की दूर्वा से पूजा करें तथा संतान गणपति स्तोत्र का प्रति दिन ११ या २१ की संख्या में पाठ करें |

[3] . संतान कामेश्वरी प्रयोग
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प्रयोग से सम्बंधित यंत्र को शुभ मुहूर्त में अष्ट गंध से भोजपत्र पर बनाएँ तथा षोडशोपचार पूजा करें तथा ॐ क्लीं ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवति संतान कामेश्वरी गर्भविरोधम निरासय निरासय सम्यक शीघ्रं संतानमुत्पादयोत्पादय स्वाहा ,मन्त्र का नित्य जाप करें | ऋतु काल के बाद पति और पत्नी जौ के आटे में शक्कर मिला कर ७ गोलियाँ बना लें तथा उपरोक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके एक ही दिन में खा लें तो लाभ होगा | |
[4] .पुत्र प्रद प्रदोष व्रत ( निर्णयामृत )
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शुक्ल पक्ष की जिस त्रयोदशी को शनिवार हो उस दिन से साल भर यह प्रदोष व्रत करें |प्रातःस्नान करके पुत्र प्राप्ति हेतु व्रत का संकल्प करें | सूर्यास्त के समय शिवलिंग की भवाय भवनाशाय मंत्र से पूजा करे | जौ का सत्तू ,घी ,शक्कर का भोग लगाएं | आठ दिशाओं में दीपक रख कर आठ -आठ बार प्रणाम करें | नंदी को जल व दूर्वा अर्पित करें तथा उसके सींग व पूंछ का स्पर्श करें | अंत में शिव पार्वती की आरती पूजन करें |

[5]. पुत्र व्रत (वराह पुराण )
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भाद्रपद कृष्ण सप्तमी को उपवास करके विष्णु का पूजन करें | अगले दिन ओम् क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपी जन वल्लभाय स्वाहा मन्त्र से तिलों की १०८ आहुति दे कर ब्राह्मण भोजन कराएं | बिल्व फल खा कर षडरस भोजन करें | वर्ष भर प्रत्येक मास की सप्तमी को इसी प्रकार व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति होगी |
[6] गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनका दान
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गर्भाधान से नवें महीने तक प्रत्येक मास के अधिपति ग्रह के पदार्थों का उनके वार में दान करने से गर्भ क्षय का भय नहीं रहता | गर्भ मास के अधिपति ग्रह व उनके दान निम्नलिखित हैं ——
प्रथम मास — – शुक्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा शुक्रवार को )
द्वितीय मास — –मंगल ( गुड ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा मंगलवार को )
तृतीय मास — – गुरु ( पीला वस्त्र ,हल्दी ,स्वर्ण , पपीता ,चने कि दाल , बेसन व दक्षिणा गुरूवार को )
चतुर्थ मास — – सूर्य ( गुड , गेहूं ,ताम्बा ,सिन्दूर ,लाल वस्त्र , लाल फल व दक्षिणा रविवार को )
पंचम मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को )
षष्ट मास — –- शनि ( काले तिल ,काले उडद ,तेल ,लोहा ,काला वस्त्र व दक्षिणा शनिवार को )
सप्तम मास —– बुध ( हरा वस्त्र ,मूंग ,कांसे का पात्र ,हरी सब्जियां व दक्षिणा बुधवार को )
अष्टम मास —- गर्भाधान कालिक लग्नेश ग्रह से सम्बंधित दान उसके वार में |यदि पता न हो तो अन्न ,वस्त्र व फल का दान अष्टम मास लगते ही नकार दें |
नवं मास —- चन्द्र (चावल ,चीनी ,गेहूं का आटा ,दूध ,दही ,चांदी ,श्वेत वस्त्र व दक्षिणा सोमवार को )

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