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Thursday 24 April 2014

किए जा सकते है बुद्ध का एक शिष्य अपने गुरु का संदेश दूर-दूर तक ले जाना चाहता था।.................


दृढ़ इच्छाशक्ति की मदद से असंभव कार्य भी संभव किए जा सकते है
बुद्ध का एक शिष्य अपने गुरु का संदेश दूर-दूर तक ले जाना चाहता था। इसलिए वह एक यात्रा पर जा रहा था। बुद्ध ने उससे पूछा- 'तुम कहां जा रहे हो, किस दिशा में, किस इलाके में?' उसने कहा कि मैं एक राज्य के सुदूर इलाकों में जा रहा हूं। अब तक आपका कोई भी शिष्य उस हिस्से में नहीं गया है।'

बुद्ध ने कहा - 'जाने से पहले तुम्हें परीक्षा देनी होगी। मेरे तीन सवालों का जवाब देना होगा। पहला, यह तुम अच्छी तरह जानते हो कि तुम्हारा वहां जाना खतरनाक है। उस प्रदेश के लोग हिंसक हो सकते हैं। वे आसानी से चिढ़ जाने वाले हैं, यहां तक कि कुछ लोग हत्यारे भी हैं? इसी कारण अब तक कोई भी उनलोगों के पास नहीं जा पाया है। यदि वे तुम्हारी बेइज्जती करते हैं, तो तुम कैसा अनुभव करोगे?'

शिष्य बोला- 'आपको इस बारे में सब कुछ पता है। आप मेरे हृदय को जानते हैं, क्योंकि आप ही मेरे हृदय हैं। यदि वे मेरी बेइज्जती करते हैं, तो मैं हृदय की आंतरिक गहराइयों से उनके प्रति कृतज्ञता महसूस करूंगा कि उन्होंने सिर्फ मेरी बेइज्जती की, वे मेरी पिटाई भी कर सकते थे।

बुद्ध बोले : 'अब दूसरा सवाल। वे तुम्हारी पिटाई करेंगे, तब तुम्हें कैसा लगेगा? तब तुम क्या सोचोगे?

शिष्य बोला : 'आप अच्छी तरह से जानते हैं। मैं उनके प्रति कृतज्ञता से भर जाऊंगा, क्योंकि मैं सोचूंगा कि वे सिर्फ मेरी पिटाई ही कर रहे हैं, वे मेरी हत्या भी कर सकते थे।'

बुद्ध बोले : 'अब तीसरा सवाल। वे तुम्हारी हत्या कर सकते हैं। और यदि वे तुम्हारी हत्या करने का प्रयास करेंगे, तब तुम क्या सोचोगे?'

शिष्य बोला : 'यदि वे मुझे मार डालते हैं, जब मैं मारा जा रहा होऊंगा, तब भी उनके प्रति कृतज्ञ होऊंगा, क्योंकि उन्होंने मुझे सुंदर अवसर दिया, महानतम चुनौती दी।

'मैं उनके प्रति कृतज्ञ होऊंगा, क्योंकि वे मुझे मार रहे हैं और मेरे शरीर से जीवन को छीन रहे हैं- जीवन जिसमें मैंने कोई गलती की होगी। अब मैं कभी कुछ गलत नहीं कर पाऊंगा। जीवन, जिसमें मैं अपने होश से गिर सकता था ..अब वे यह जीवन मुझसे ले रहे हैं, अब मैं अपने होश से गिर नहीं सकता।

मैं सोचूंगा कि वे मेरे मित्र हैं, क्योंकि वे मुझे बंधनों से मुक्त कर रहे हैं। बुद्ध बोले, 'अब तुम जा सकते हो जहां कहीं भी तुम जाना चाहो, क्योंकि जहां कहीं भी तुम जाओगे, मेरी ऊर्जा को फैलाने में सफल होओगे।

तुम मेरे प्रेम और करुणा को बांटने में सफल होओगे और तुम लोगों को सजग करने में सफल होओगे। तुम जाने के लिए तैयार हो जाओ।'

कथा मर्म : दृढ़ इच्छाशक्ति की मदद से असंभव कार्य भी संभव किए जा सकते है

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