Advt

Saturday 12 April 2014

जबतक असत्य की कामना . ओर भरोसा है,, तबतक सत्य का अनुभव नहीं हो सकता,,,हम पति ,, पत्नी.,,, पिता,,,पुत्र,, पुत्री,,,माता,,,भाई,,, मित्र का तो भरोसा करते हैं लेकिन जो सदा हाजरा हजूर है


जेसे जुआरी आखरी दाव भी हार चुका होता है,,,
जबतक असत्य की कामना . ओर भरोसा है,, तबतक सत्य का अनुभव नहीं हो सकता,,,हम पति ,, पत्नी.,,,  पिता,,,पुत्र,, पुत्री,,,माता,,,भाई,,, मित्र का तो भरोसा करते हैं  लेकिन जो सदा हाजरा हजूर है ,,,,ओर जिसके हाथ मैं हमारे जीवन की डोर है,,हमारी साँसें हैं,,, हम उस पर भरोसा नहीं करते,, ओर जब इन सब रिश्तों से हमें ठोकरें निराशा ओर धोखा मिलता है तब हम भगवान को याद करते है ,,,ओर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ,,,, जीवन की शाम हो चुकी होती है,,,जेसे जुआरी आखरी दाव भी हार चुका  होता है,,, तो सिवाये पश्चाताप के उसके हाथ कुछ भी नही आता। .... पं म डी वशिष्ट। .... 

No comments:

Post a Comment