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Friday 11 April 2014

भगवद गीता पढ़ने वाले पर मारण- मन्त्र नहीं चला !....



भगवद गीता पढ़ने वाले पर मारण- मन्त्र नहीं चला
भगवद गीता पढ़ने वाले पर मारण-
मन्त्र नहीं चला !
एक सेठजी कपड़े की दुकान करते थे.
खाली समय में वे 'गीता' पढ़ने बैठ
 जाते. सत्संग का काफी अच्छा प्रभाव
जो था. श्री कृष्ण के भी पक्के भक्त थे.
एक दिन दुकान पर दो किसान आये.
उन्होंने कुछ कपड़े ख़रीदे और बाद में
 पैसे चुकाने की कह कर चले गए.
सेठजी भी भले आदमी थे. 4-5 महीने
 हो गए तो सेठजी ने उनसे तगादा किया. फिर भी उन्होंने पैसे
 नही दिए तो उन्होंने ब्याज सहित
7 हज़ार रूपए बता दिए.
उन दोनों का माथा घूम गया और 4
महीने बाद फसल काट कर पैसे देने
 की बात कही. उन लोगों ने सोचा की सेठ को मरवा देते हैं.
दोनों एक तांत्रिक के पास गए
 जो मारण-मन्त्र से
 किसी को भी मारने
 का दावा करता था.
दोनों ने उसे 1000 में से 500 रूपए एडवांस में दे दिए. सोचा 6000
तो बचेंगे ! उन दोनों ने यह भी कह
 दिया कि 3-4 महीनो में बीमार कर
 के खत्म करना जिससे वो परेशान
 भी हो, पूरा पैसा भी खर्च कर दे
 इलाज में, और लोगों को शक भी न हो.
अब दोनों एक हफ्ते बाद गए
 तो देखा सेठ भले-चंगे थे और अपने पैसे
 मांग रहे थे ! उन्होंने बात जाकर
 तांत्रिक से कही.
इधर जबसे उसने मन्त्र का आरम्भ किया था, उसका खुद
 का लड़का बीमार रहने लगा. उसने
 अपने गुरूजी से जाकर
 पूछा कि ऐसा क्यूँ हो रहा है !
गुरूजी ने बताया कि सेठजी रोज
'गीता' पढ़ते हैं, इसीलिए श्रीकृष्ण की उन पर विशेष कृपा है. इसी कारण
 मन्त्र के विपरीत प्रभाव से तुम्हारे
 लड़के को बीमारी लग गयी है.
सेठजी से जाकर क्षमा मांगो,
तभी तुम्हारा लड़का बच पायेगा !
वो तांत्रिक भगा भगा गया; सेठजी का पता पूछते हुए उनके पास
 आया, और आते ही उनके चरणों में
 गिर पड़ा और क्षमा मांगने लगा.
सेठजी ने कहा- 'भाई ! मैं तो तुम्हें
 जानता भी नहीं, फिर किस बात
 कि क्षमा मांग रहे हो?' उस तांत्रिक ने पूरी बात बताई.
तो सेठजी की प्रभु की साक्षात्
 कृपा देख कर आँखें भर आयीं और
 उन्होंने कहा- 'देखो आगे से किसी के
 साथ ऐसा मत करना. मैं प्रभु से तुम्हारे
 किये प्रार्थना करूँगा.' ये सुन वो तांत्रिक आभार मान चला गया.
इधर वो कपटी किसान श्रीकृष्ण के
 भक्त के साथ ऐसा कर काल से ना बच
 पाए. कुछ दिन बाद ही उनकी मृत्यु
 हो गयी.
ये बात पूरे गाँव में फ़ैल गयी, और बस में जाते समय उसी गाँव के किसी ने ये
 घटना सुनाई थी, जो 'कल्याण' में
 प्रकाशित हुई थी.,
ll श्री कृष्णः शरणम् ममः ll
 ll श्री कृष्णः शरणम् ममः ll
 ll श्री कृष्णः शरणम् ममः ll


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